बात-चीत और ज़ुबान के आदाब

बात-चीत और ज़ुबान के आदाब

  • Apr 14, 2020
  • Qurban Ali
  • Tuesday, 9:45 AM

इस्लाम में हर चीज़ की बारीकी का ख्याल रखा गया है। इंसान को ऐसी किसी भी बात से बचना चाहिए जो किसी शख्स का दिल दुखाये जिसके बेहद ज़रूरी है के इंसान को बात-चीत और ज़ुबान के आदाब का बखूबी ख्याल रहे। मुस्लमान को चाहिए की वो ज़रूरत के वक़्त बात करे, और जब बोले काम की बात करे I हर वक़्त बोलना और बेकार बाते बनाना बोहोत बुरी आदत है I मुस्लमान को हमेशा सच बोलना चाहिए और झूट से कभी भी अपनी ज़ुबान ख़राब नहीं करनी चाहिए। झूठ बहुत बड़ा गुनाह है। मुसलमान को चाहिए के कभी भी दुसरो को बुरा ना कहे, किसी की चुगली ना करे, किसी से शिकायत ना करे। लोगो से झूठे वादे ना करे और किसी का मज़ाक ना बनाये, जो बात करे सोच समझ कर करे , बिना वजह बात को ना बढायेI ऐसी बाते कहे जो सुनने वाला समझ जाये और अगर वो एक बार में ना समझे या ना सुन सके तो फिर दोहरा दे और गुस्सा ना करे I कभी खुशामद और चापलूसी की बात ना करे , अपनी इज्ज़त और लोगो की इज़्ज़त का हमेशा ख्याल रखे। अगर कोई सवाल करे तो पूरा सवाल ख़ूब ग़ौर से सुने और सोच समझ कर जवाब दे I कोई बात कर रहा हो तो बिच में अपनी बात ना छेड़े , और अगर कोई कुछ बताना चाहे तो पहले से ही ना कहे की हमें मालूम है I बड़ो से किसी बात में न झगडे I अगर किसी से कोई मामला करना हो तो झगडे की नौबत ना आने दे I इन्साफ और सलिखे की बात ही हमेशा करेI अगर अपनी ग़लती हो तो फ़ौरन ही मान ले और अगर दूसरे की ग़लती हो तो गुस्से में गलत बात ना कहे I मुसलमान को चाहिए के वो हमेशा एक अच्छा राज़दार हो, जो बाते छिपाने की हो वो किसी से न कहे I दुसरे का राज़ छुपाना अमानतदारी है I

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